Sanchar Sarthi – Latest Local News, Politics, Sports & EditorialsSanchar Sarthi – Latest Local News, Politics, Sports & Editorials

Sanchar Sarthi

Home » देश-विदेश » चीन ने नेपाल को चार बंदरगाह इस्तेमाल करने की अनुमति दी, इससे पड़ोसी देश की भारत पर निर्भरता कम होगी

चीन ने नेपाल को चार बंदरगाह इस्तेमाल करने की अनुमति दी, इससे पड़ोसी देश की भारत पर निर्भरता कम होगी

[the_ad id="14540"]

काठमांडू.  चीन ने शुक्रवार को अपने चार बंदरगाह और तीन लैंड पोर्ट इस्तेमाल करने की अनुमति नेपाल को दे दी। चीन का यह कदम भारत के लिए काफी नुकसानदायक माना जा रहा है। ऐसे में चारों तरफ जमीन से घिरे नेपाल की निर्भरता भारत पर काफी हद तक कम हो जाएगी। पड़ोसी देशों में प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन पहले कर्ज बांटने की नीति अपना रहा था। अब वह अपने संसाधनों का इस्तेमाल करने की छूट दे रहा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, 2015 में मधेसी आंदोलन के बाद नेपाल में रोजमर्रा की चीजों की आपूर्ति प्रभावित हो गई थी। इसके बाद से नेपाल ने भारत पर निर्भरता कम करने की तैयारी शुरू कर दी थी। ऐसे में चीन ने नेपाल के साथ अपने संबंध मजबूत कर लिए। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, चीन के शैनजेन, लियानयुगांग, झाजियांग और तियानजिन सी-पोर्ट का इस्तेमाल नेपाल कर सकेगा। तियानजिन बंदरगाह नेपाल की सीमा से सबसे ज्यादा नजदीक है, जिसकी दूरी करीब तीन हजार किमी है। इसके अलावा चीन ने लंझाऊ, ल्हासा और शीगाट्स ड्राई पोर्ट के इस्तेमाल करने की अनुमति नेपाल को दे दी है।

नेपाल को दिया जाएगा वैकल्पिक मार्ग : नई व्यवस्था के तहत चीन तिब्बत में शिगाट्स के रास्ते सामान ले जाने वाले नेपाल के ट्रकों और कंटेनरों को परमिट देंगे। इस डील ने नेपाल के लिए कारोबार के नए दरवाजे खोले हैं, जो अब तक पूरी तरह भारतीय बंदरगाहों पर निर्भर था। नेपाल के औद्योगिक और वाणिज्यिक मंत्रालय के संयुक्त सचिव रवि शंकर सैंजू ने बताया कि अन्य देशों के साथ कारोबार के लिए नेपाली कारोबारियों को चीन के सीपोर्ट तक पहुंचने के लिए रेल और सड़क मार्ग की अनुमति भी मिलेगी।

2016 में बनी थी सहमति : ट्रांजिट एंड ट्रांसपोर्ट एग्रीमेंट (टीटीए) से संबंधित वार्ता के दौरान रवि शंकर ने नेपाल के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। मीटिंग में दोनों पक्षों ने छह जगह से चीन में दाखिल होने का रास्ता तय किया। शुक्रवार को इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हुआ। मार्च 2016 में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चीन की यात्रा की थी। उस दौरान ही इस प्रस्ताव पर सहमति बनी थी।

Leave a Comment

[the_ad id="14784"]
[the_ad id="14787"]
What is the capital city of France?