चुनावी मैदान में देश की आर्थिक सेहत पर चल रही बहस के बीच संयुक्त राष्ट्र ने अपनी आर्थिक-समाजिक सर्वेक्षण रिपोर्ट ने भारत को एशिया-प्रशांत की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था आंका है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए सामाजिक-आर्थिक आयोग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में भारत की विकास दर 7.5 फीसद से अधिक होगी। हालांकि रिपोर्ट इस बात को भी उभारती है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तरह अमीर-गरीब के बीच मौजूद अंतर को पाटना और बेरोजगारी दूर करना भारत के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।
यूएन के मुताबिक भारत को अपने हर नागरिक को गरीबी रेखा से बाहर निकालने व अन्य मिलेनियम डेवलपमेंट लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रति व्यक्ति हर दिन 2 डॉलर यानी करीब 140 रुपये की जरूरत है और फिर भी यह लक्ष्य हासिल करने में एक दशक से ज्यादा का वक्त लगेगा।
नई दिल्ली में रिपोर्ट जारी करने के बाद यूएन ईएससीएपी के भारत प्रमुख और अर्थशास्त्री डॉ। नागेश कुमार ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि भारत को विकास लक्ष्यों के लिए समावेशी विकास पर अधिक सक्रियता से ध्यान देने की जरूरत है। आर्थिक वृद्धि के बीच केवल 1 प्रतिशत अमीरों के साधनों में बढ़ोतरी और निचले तबके की 40 फीसद आबादी की यथास्थिति है चिंता का सबब। भारत के लिए इस अंतर की खाई को भरना एक चुनौती है।