सोने से लेकर खाने तक हर किस्म का नियम है महत्वपूर्ण
12 सितंबर 2018 को पड़ रहे हरतालिका तीज के व्रत में विधि विधान आैर इसके कठोर नियमों का पालन करना अनिवार्य है एेसा पौराणिक कथा में स्पष्ट कहा गया है। इस व्रत में कुछ बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है। हरतालिका व्रत करने वाली महिलाआें के लिए शयन का निषेध किया गया है। यह व्रत कुमारी कन्यायें आैर सुहागिन महिलाएं दोनों ही रख सकती हैं, परन्तु एक बार व्रत प्रारंभ करने के जीवन पर्यन्त इसे रखना अनिवार्य होता है। केवल एक ही स्थिति में इस व्रत को छोड़ा जा सकता है, यदि व्रत रखने वाली गंभीर रूप से बीमार हो जाये तो परंतु उस स्थिति में किसी दूसरी महिला या उसके पति को ये व्रत करना होगा।
व्रत कथा में बताया है क्या करना है वर्जित
हरतालिका तीज की व्रत कथा में क्रमवार उन सारी बातों का जिक्र है जिन्हें इस दिन करना निषिद्घ बताया गया है आैर इसीलिए इस व्रत के नियम अत्यंत कठोर हैं। इन सारी बातों के पालन की अनिर्वायता के चलते ही हरतालिका तीज का व्रत महाव्रत कहलाता है। कथा के अनुसार इस दिन महिलाओं को क्रोध नहीं करना चाहिए, क्रोध करने से मन की पवित्रता का ह्रास हो जाता है। संभवत: इसी लिए गुस्से को शांत करने के लिए महिलाएं हाथों में मेंहदी लगाती हैं। व्रत के दिन पूरी रात जाग कर पूजा करनी चाहिए। कथा के अनुसार मान्यता है कि यदि व्रत रखने वाली महिला रात में सो जाती है तो वह अगले जन्म में अजगर के रूप में जन्म लेती है। इसी तरह बताया गया है कि इस दिन व्रत रखने वाली महिला अगर गलती से कुछ खा या पी ले तो वह अगले जन्म में वानर बन जाती है। जो महिलायें इस दिन निर्जल रह कर व्रत नहीं करती तो जल पीने से वे अगले जन्म में मछली बन जाती हैं, एेसा कहा गया है। इास पर्व पर गलती से भी सामिष भोजन करने वाली महिलाआें को कठोर श्राप के बारे में कहा गया है। कथा के अनुसार हरतालिका व्रत पर दूध पीने वाली स्त्रियां अगले जन्म में सर्प योनि में जन्म लेती है।