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वाहन फाइनेंस कंपनियां मनमानी ब्याज दर नहीं वसूल सकेंगी, परिवहन विभाग ने कसा ये शिकंजा

पाली। वाहन फाइनेंस कंपनियों की मनमानी की शिकायतों को देखते हुए परिवहन विभाग ने अब इन पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। विभाग ने नए निर्देश जारी किए है। इसके तहत वाहन फाइनेंस कंपनियों को काम शुरु करने से पहले रिजर्व बैंक से एनओसी लेनी पड़ेगी। साथ ही फर्म को कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर भी करवाना होगा। परिवहन विभाग के आयुक्त की ओर से जिला परिवहन अधिकारियों को जारी आदेश में कहा गया है कि भविष्य में उसी कंपनी को केन्द्रीय मोटरवाहन अधिनियम 1989 के प्रावधानों के तहत वाहनों के वित्त पोषण का टे्रड सर्टिफिकेट जारी किया जाए। जिससे रिजर्व बैंक से एनओसी ले रखी है। साथ ही इन कंपनियों के लिए कंपनीज एक्ट के तहत फर्म का रजिस्टे्रशन भी करवाना भी जरुरी कर दिया गया। परिवहन विभाग में करीब 50 फाइनेंस कंपनियां पंजीकृत है।

ये होगा असर: आरबीआई से एनओसी लेने के बाद वाहन फाइनेंस कंपनियों को उसके नियमों की पालना करनी होगी। वे मनमानी ब्याज दर नहीं वसूल सकेंगे। साथ ही आरबीआई के समय समय पर जारी निर्देशें की भी पालना करनी होगी।

फर्जी कंपनियों पर लगेगी लगाम: नए आदेश से वाहन फाइनेंस के क्षेत्र में काम करने वाली कई फर्जी कंपनियों पर लगाम लग सकेगी। अब तक बैंक में खाता खुलवाकर उसका प्रमाण पत्र पेश करने पर ही परिवहन विभाग मान्यता दे देता था। इसके चलते वाहनों को फाइनेंस करने वाली कई फर्मे आ गई थी। इन फर्मो की वाहन फाइनेंस में मनमानी चलती थी। ये ग्राहकों से मनमर्जी से ब्याज वसूलती थी। पैसे नहीं लौटाने पर वाहन स्वामी से अभद्रता की शिकायतें आती थी। कई बार तो वाहन स्वामी से उसका वाहन छीन लिया जाता था। यहां तक मारपीट और अपहरण तक के मामले सामने आने लगे थे। इन मामलों के सामने आने पर परिवहन विभाग ने नई व्यवस्था शुरु की।

आदेश आए है: परिवहन आयुक्त के नए निर्देश हाल ही में आए है। आगे से उसी के अनुरुप काम होगा। जिसे में वाहन फाइनेंस में कार्यरत कंपनियों को आरबीआई की एनओसी लेनी होगी। साथ ही कंपनी रजिस्ट्रार से पंजीकृत भी करना होगा।

 

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