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पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी बच्चों के लिए निशुल्क भोजन का दैनिक वितरण

पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी
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पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी

सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन की सामाजिक पहल

शरणार्थी बच्चों को पोषण और सम्मान देने की अनूठी पहल

जोधपुर, राजस्थान। जोधपुर के गंगाणा गांव में पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी बच्चों के लिए बाजरा और दाल आधारित पौष्टिक भोजन का दैनिक वितरण शुरू किया गया है। यह पहल सेवा न्याय उत्थान नामक संस्था ने की है, द्वारा की गई गई है, जो शरणार्थी समुदाय की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कई महीनों से काम कर रही है।

इस योजना का नाम ‘सात्त्विक भोजनशाला’ रखा गया है और यह योजना भारत की प्राचीन मिलेट परंपरा से प्रेरित है, जिसे आज भारत सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है। इस कार्यक्रम के तहत गंगाणा गांव के लगभग 200 बच्चों को रोजाना निशुल्क पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

ये बच्चे 5 से 18 वर्ष की आयु के हैं। इन सभी के परिवार दस साल पहले धार्मिक उत्पीड़न से बचकर पाकिस्तान से भारत आए थे। अब वे भारत में नागरिकता मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

भोजन में बच्चों को दाल और बाजरे की रोटी परोसी जा रही है। ये एक शरणार्थी महिला सौभागी देवी द्वारा तैयार किया जा रहा है। यह पहल न केवल बच्चों को बेहतर पोषण दे रही है, बल्कि सौभागी देवी को रोजगार भी प्रदान कर रही है।

सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन के दो संचालक हैं। एक संजीव नेवर, जो एक वैज्ञानिक और आईआईटीआईआईएम के पूर्व छात्र हैं। दूसरी स्वाति गोयल शर्मा, जो कि की एक पुरस्कार विजेता पत्रकार हैं।

संजीव नेवर ने कहा कि “बाजरा भारत की धरोहर है और कुपोषण के खिलाफ सबसे प्रभावी समाधान है। इस पहल के माध्यम से हमारा उद्देश्य गरीब और वंचित समुदायों में बाजरा-आधारित आहार को बढ़ावा देना है।” स्वाति गोयल शर्मा ने कह कि “पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी केवल सुरक्षा ही नहीं बल्कि सम्मान और अवसरों के भी हकदार हैं।

सात्त्विक भोजनशाला उनके बच्चों के लिए पोषण और भविष्य की आशा सुनिश्चित करती है।” सौभागी देवी का कहना है कि 2013 में भारत आने के बाद मैंने अकेले ही अपने बच्चों को पालने के लिए खेतों में मजदूरी की।

इस संस्थान के लिए भोजन बनाने का काम मेरे लिए बहुत सम्मान और संतोष की बात है। मेरे अपने बच्चे भी इस भोजन का लाभ उठा रहे हैं, जिसे मैं अकेले नहीं दे सकती थी। इसी बस्ती के रहना वाले देहराज भील इस संस्था के गंगाना गांव के मैनेजर हैं और इस योजना को भूमि पर अंजाम देने का काम कर रहे हैं।

क्षेत्रवासी मेहताबराम ने कहा कि मेरी 13 वर्षीय बेटी भी इस पहल से लाभान्वित हो रही है। इससे मेरी बेटी को पौष्टिक खाना मिल रहा है, जो मैं उपलब्ध नहीं करा पाता था। यह हमारे लिए बहुत बड़ा सहारा है। बाजरा को “सुपरफूड” कहा जाता हैै।

यह प्रोटीन, आयरन और फाइबर से भरपूर है। यह बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करता है। भारत सरकार भी बाजरे को बढ़ावा देने के लिए इसे पोषण और स्थिरता का प्रतीक मानती है।

संस्थान की पूर्व उपलब्धियां
-सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन ने गंगाणा कॉलोनी में इससे पहले 70 शरणार्थी घरों का पुनर्निर्माण किया था।
-बच्चों को रोबोटिक्स का प्रशिक्षण देकर उन्हें IIT रोबोटिक्स प्रतियोगिताओं में भाग लेने का भी अवसर इस संस्था ने दिया था।
-ये संस्था साल भर से इन शरणार्थी बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही है।

भविष्य की योजनाएं : फाउंडेशन अन्य शरणार्थी और वंचित समुदायों में इस बाजरा-आधारित पोषण मॉडल का विस्तार करना चाहता है। उनका लक्ष्य है कि हर बच्चे को स्वस्थ और पौष्टिक भोजन मिले ताकि वे शिक्षा और अन्य गतिविधियों में पूरी क्षमता से हिस्सा ले सकें।

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