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जानें छोटे से आइलैंड पर बने महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग किले का खासियत

सिंधुदुर्ग किला, अरब सागर में बना एक ऐतिहासिक किला है। जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने सन् 1664 में बनवाया था। सिन्धुदुर्ग किले का निर्माण कोंकण तट पर कराया था। किले का बाहरी दरवाजा इस तरह बनाया गया है कि यहां परिंदा तो क्या सुई तक अंदर नहीं जा सकती। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और समुद्र के किनारे इस किले की खूबसूरती को दोगुना करते हैं। जिसकी वजह से यहां साल भर टूरिस्टों का तांता लगा रहता है। और यहां तक पहुंचने के लिए आपको बोट से जाना पड़ता है।

किले का इतिहासकिले को बनवाने का मकसद भारत में बढ़ रहे विदेशी व्यापारियों (डच, फ्रांसिसी, पुर्तगाली) के प्रभाव को रोकना था। इसी के तहत सन् 1664 में हीरोजी इंदुलकर की देखरेख में किले को बनवाया गया था। एक छोटे से आइलैंड पर बने इस किले को खुर्ते बेट के नाम से भी जाना जाता है। मराठी भाषा में बेट का मतलब आइलैंड होता है।

किले की बनावट

किला 48 एकड़ में फैला हुआ है। जिसमें 30 फुट ऊंची और 12 फुट मोटी, 3 दीवारें हैं। जो सिर्फ दुश्मनों से ही नहीं अरब सागर की खतरनाक लहरों से भी किले की रक्षा करती हैं। किले को मजबूत बनाने के लिए 4000 लोहे के टीलों का इस्तेमाल किया गया था। किले में 42 बुर्ज के साथ टेढ़ी-मेढ़ी दीवारें हैं। इस किले को बनाने में 100 आर्किटेक्ट और लगभग 3000 मजदूरों की मेहनत शामिल थी। हर तरीके से सुरक्षित और शानदार ये किला 3 साल में बनकर तैयार हुआ था।

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