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एक गोताखोर के लिए सपना बन कर रह गई सरकारी नौकरी

एक गोताखोर अशोक सिंह तीन साल से कर रहे है सरकारी नौकरी का इंतजार

जोधपुर। कायलाना तख्त सागर झील से तीन साल पहले सैन्य अभ्यास के दौरान कैप्टन अंकित गुप्ता की झील की गहराई में फंस जाने से जान चली गई थी। कैप्टन के शव को खोज निकालने वाले गोताखोर अशोक सिंह को सरकारी नौकरी नहीं मिलने से जान निकलती जा रही है। नौकरी की आस लिए गोताखोर अशोक सिंह अब भी झील की तलहटी पर बैठा इंतजार कर रहा है।
जनवरी 2021 में सैन्य अभ्यास के दौरान सेना 10 पेरा के कैप्टन अंकित गुप्ता कायलाना तख्त सागर झील की गहराई में फंस गए थे। शव को ढूंढ निकालने के लिए सेना की टीम के साथ अनुभवी गोताखोर मालवीय बंधुओं के साथ स्थानीय गोताखोर अशोक सिंह ने भी दिन रात एक कर दिए थे। आखिर छह दिन बाद अशोक सिंह ने केप्टन गुप्ता के शव को खोज निकाला था।

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गोताखोर अशोक सिंह ने काफी दिनों की मशक्कत के बाद कैप्टन अंकित गुप्ता का शव खोज निकाला तब सेना के मेजर जनरल नरपत सिंह राजपुरोहित ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र प्रेषित कर ऐसे अनुभवी गोताखोर को सरकारी सेवा में लेने की अनुशंसा की थी। लेकिन मेजर जनरल के अनुशंसा के बाद तीन साल गुजर गए गोताखोर अशोक सिंह झील की तलहटी पर बैठा सरकारी नौकरी का इंतजार ही कर रहा है।
सरकारी नौकरी नहीं मिलने से निराश अशोक सिंह पिछले तीस साल से कायलाना तख्त सागर झील में मौत की छलांग लगाने वाले लोगों को बचाने का निस्वार्थ भाव से काम कर रहे है। वे अब तक 500 से ज्यादा लोगों को बचा चुके है तो 300 से ज्यादा शवों को झील की गहराई में उतर कर निकाल चुके है जिनमें एक शव केप्टन अंकित गुप्ता का भी शामिल है।
गोताखोर अशोक सिंह बताते है कि झील में मौत की छलांग लगाने वालों को बचाना उनका कर्तव्य है वे निस्वार्थ भाव से सेवा का यह कार्य अपनी जान जोखिम में डाल कर करते है। लेकिन जब उनके कार्य का इस तरह प्रशासन मजाक बनाता है तो एकबारगी नफरत सी होने लगती है। अगर सरकार इनाम के तौर पर नौकरी नहीं दे सकती है तो नौकरी का झांसा देकर गोताखोरों का मजाक भी नहीं बनाना चाहिए।

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