अमरनगर स्थित ऊजी तारा त्रिस्तुतिक जैन संघ भवन में पर्युषण पर्व के छठे दिन साध्वी कल्पलता, सौभाग्यगुणा एवं वैराग्यगुणा श्रीजी ने अपने प्रवचन में प्रभु महावीर के जन्म के उपरान्त के प्रसंगों का वर्णन किया। प्रभु का जन्म होते ही इन्द्रों ने अभिषेक किया, आकाश से पुष्पवृष्टि हुई और समस्त देवताओं ने आनंद मनाया। प्रभु महावीर का बाल्यकाल अत्यंत अलौकिक और धर्ममय रहा, वे ज्ञान और करुणा से ओतप्रोत होकर बाल्यावस्था में ही असाधारण गुणों से विभूषित थे। बालक महावीर को प्रारंभिक शिक्षा के लिए पाठशाला भेजा गया, जहां उनकी स्मृति, वाणी और विवेक बहुत ही विलक्षण थे।
संघ द्वारा बालिका मंडल के सानिध्य में पाठशाला जाने वाले बच्चों की पाठशाला लगाई गई, जिसमें गुरु की भूमिका पारसमल चौधरी ने निभाई एवं संचालन मुस्कान सेठ ने किया। इस अवसर पर ज्ञान सामग्री का वितरण कर सभी को ज्ञान से जोड़ा गया। प्रवचन के पश्चात गुरुदेव की आरती का लाभ महेन्द्र, धर्मेश, विपुल सुराणा ने लिया।
संयोजक अशोक पोरवाल ने बताया कि अवंति पार्श्वनाथ मंदिर में प्रभु की भव्य आंगी रचना की गई एवं संघ द्वारा राजेन्द्र भवन में प्रभु भक्ति का भव्य आयोजन किया गया।
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