Sanchar Sarthi – Latest Local News, Politics, Sports & EditorialsSanchar Sarthi – Latest Local News, Politics, Sports & Editorials

Sanchar Sarthi

Home » लाईफ स्टाईल » बाढ़ के बाद केरल में ‘रैट फीवर’ से 43 की मौत, जानें क्या है ये जानलेवा रोग

बाढ़ के बाद केरल में ‘रैट फीवर’ से 43 की मौत, जानें क्या है ये जानलेवा रोग

बाढ़ के बाद केरल में अब रैट फीवर का कहर तेजी से फैल है। पानी से फैलने वाले इस जानलेवा रोग से अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है और 350 से ज्यादा लोग अभी भी बुखार की चपेट में हैं। सरकार ने लोगों से अतिरिक्त सावधानी बरतने के लिए अलर्ट जारी किया है। पिछले 3 दिनों में इस बीमारी से 31 लोगों की जान जा चुकी है। केरल में आई वीभत्स से बाढ़ से पहले ही 483 लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में अब ‘रैट फीवर’ के कहर से लोग डरे हुए हैं। आइए आपको बताते हैं क्या है ‘रैट फीवर’ और क्या हैं इसके खतरे।

रैट फीवर क्या है

‘रैट फीवर’ को लेप्टोस्पायरोसिस भी कहते हैं। ये एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जिसके कारण रोगी को तेज बुखार आता है और समय पर इलाज न मिल पाने के कारण उसकी मौत हो जाती है। लेप्टोस्पायरोसिस आमतौर पर चूहों, कुत्तों और दूसरे स्तनधारियों में पाया जाने वाला रोग है, जिसके वायरस की चपेट में इंसान भी आ जाते हैं। बाढ़ के दौरान इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि बाढ़ के समय मनुष्य, पशु और अन्य छोटे जीव एक ही जगह पर इकट्ठा हो जाते हैं और पानी के कारण इस वायरस के फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है।

कैसे फैलती है ये बीमारी

इस बीमारी की चपेट में आए हुए जानवरों को छूने, उनसे निकले भोज्य पदार्थों के सेवन से, संक्रमित पानी के संपर्क में आने से, मिट्टी और कीचड़ के संपर्क में आने से ये रोग तेजी से फैलता है। इसके अलावा लेप्टोस्पायरोसिस की चपेट में आए रोगी के खांसने, छींकने और मल-मूत्र से भी ये रोग दूसरे लोगों में फैल सकता है। लेप्टोस्पायरोसिस का संक्रमण जब त्वचा की श्लेष्मा झिल्ली के संपर्क में आता है, तो इसके वायरस त्वचा के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

क्या हैं ‘रैट फीवर’ के लक्षण

  • सिर दर्द या शरीर में दर्द
  • तेज बुखार होना
  • खांसी में खून निकलना
  • पीलिया भी इस बीमारी के कारण ही होता है।
  • शरीर का लाल होना
  • शरीर में रैशेज होना

बाढ़ के दौरान बरतें ये सावधानियां

  • बाढ़ के पानी के साथ सीधे संपर्क में न आने की पूरी कोशिश करें, तथा कभी भी इसका सेवन न करें। आमतौर पर, नलके का पानी बाढ़ से अप्रभावित होता है और पीने के लिए सुरक्षित होता है।
  • अगर आपको पानी में जाना ही पड़े तो रबड़ के जूते और या वाटर प्रूफ दस्ताने पहनें।
  • नियमित रूप से अपने हाथों को धोएं, विशेष रूप से खाने से पहले। अगर पानी उपलब्ध नहीं है तो हेंड सेनेटाइज़र या वेट वाइप का प्रयोग करें।
  • बाढ़ के पानी के संपर्क में आए भोजन का सेवन कभी न करें।
  • अगर कहीं कट या छिल गया हो तो वहां वाटरप्रूफ प्लास्टर पहनें।
  • आप गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण है, तो आपदा रूल बुक में ऐसी स्थिति के निर्देश पढ़ें।
  • जानवरों को कोई रोग होने पर उनके मल-मूत्र, उनके शरीर और लार से सीधे संपर्क में आने से बचें।
  • कई दिनों का बासी और गंदे पानी से बना खाना न खाएं।
  • बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मांसाहारी आहार जैसे- मीट, मछली आदि के सेवन से बचें।
  • अगर संभव हो, तो पानी बिना उबाले न पिएं।
  • खाने के अच्छी तरह पकाएं। अधपका खाना कई बीमारियों को जन्म दे सकता है।
  • जितना हो सके सूखा रहने का प्रयास करें।

Leave a Comment

What is the capital city of France?