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अजमेर की राठौड़ बाबा और गणगौर की पारम्परिक सवारी मशहूर है

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अजमेर. सोलथम्बा फरिकेन की ओर से ईसर गणगौर (राठौड़ बाबा) की पारम्परिक सवारी निकाली जाएगी। यह सवारी अजमेर और आसपास के इलाकों में मशहूर है।

प्रतिवर्ष गणगौर के बाद राठौड़ बाबा और गणगौर की पारम्परिक सवारी गाजे-बाजे के साथ निकाली जाती है। सवारी खटोला पोल, व्यास गली,होली धड़ा कड़क्का चौक, नया बाजार चौपड़ आगरा गेट होते हुए नसियां के निकट भोजनशाला तक जाती है। यहां कुछ देर विश्राम के बाद रात्रि दो बजे आगरा गेट, चौपड़, घी मंडी, सर्राफा पोल, मोदियाना गली होते हुए सवारी वापस पहुंचती है। कई स्थानों पर राठौड़ बाबा और गणगौर की सवारी का स्वागत होता है। नया बाजार, लक्ष्मी चौक और आसपास के क्षेत्र में सजावट की जाती है।

लोग सुनते हैं मधुर स्वर लहरियां…
गणगौर की सवारी के दौरान बैंड वादकों के बीच प्रतियोगिता होती है। शहर के सभी बैंड सवारी के दौरान नए और पुराने गीतों की सुमधुर धुनें पेश करते हैं। इनमें ओ पवन वेग से उडऩे वाले…, अरे जा रे हट नटखट…, भंवर म्हने पूजण द्यो गणगौर.. और अन्य धुनें शामिल होती हैं। इन्हें सुनने के लिए लोग देर रात तक नया बाजार और अन्य इलाकों में डटे रहते हैं।

होता है मेहंदी लच्छा वितरण
मोदियाना गली में सवारी के पुन: पहुंचने पर रातिजगा होता है। सवारी के बाद दूसरे दिन मेहंदी लच्छे और प्रसाद का वितरण किया जाता है। मालूम हो कि लोग इस मेहंदी को शुभ मानते हुए घर ले जाते हैं।

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