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जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 साल बाद ब्रिटेन ने इस पर खेद जताया

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बुधवार को ब्रिटेन की संसद में प्रधानमंत्री टेरिजा मे ने कहा कि जलियांवाला बाग त्रासदी ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर शर्मनाक धब्बा है. 100 वर्ष पहले जो कुछ हुआ था और उससे लोगों को जो पीड़ा हुई थी उसका हमें बहुत दुख है. हालांकि उन्होंने इस नरसंहार के लिए माफी नहीं मांगी.

नरसंहार की इस घटना के 100 वर्ष पूरे होने पर ब्रिटिश सरकार से औपचारिक माफी मांगने का प्रस्ताव रखा गया था. इस पर हाउस ऑफ कामंस परिसर के वेस्टमिंस्टर हॉल में हुई बहस में लगभग सभी सांसदों ने इसका समर्थन किया था. सरकार की तरफ से विदेश मंत्री मार्क फील्ड ने ‘जलियांवाला बाग नरसंहार’ पर आयोजित बहस में हिस्सा लेते हुए कहा कि हमें उन बातों की एक सीमा रेखा खींचनी होगी जो इतिहास का ‘शर्मनाक हिस्सा’ हैं. ब्रिटिश राज से संबंधित समस्याओं के लिए बार-बार माफी मांगने से अपनी तरह की दिक्कतें सामने आती हैं.

2013 में भारत दौरे पर आए ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने घटना को ‘बेहद शर्मनाक’ बताया था. हालांकि, उन्होंने इसके लिए माफी नहीं मांगी थी.

बता दें कि 13 अप्रैल, 1919 के दिन अमृतसर के जालियांवाला बाग में इकट्ठा हुए निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर ब्रिटिश सैन्य अधिकारी जनरल रेजिनाल्ड डायर के निर्देश पर फायरिंग हुई थी. इसमें बच्चे, बूढ़े और महिलाओं समेत सैकड़ों लोग मारे गए थे.

ब्रिटेन की तरफ से जलियांवाला नरसंहार में लगभग 400 लोगों की मौत की बात कही गई थी. हालांकि,  भारत के मुताबिक इसमें करीब 1000 लोग मारे गए थे.

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