देश में 8 नवंबर 2016 की आधी रात मोदी सरकार ने नोटबंदी लागू की। इससे आतंकवाद, भ्रष्टाचार और कालेधन खत्म होने का दावा किया गया। लेकिन अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी बेंग्लुरु के सेंटर फॉर ससटेनेबल इम्पलॉयमेंट की रिपोर्ट में नोटबंदी और जीएसटी की वजह से लोगों की नौकरी छिनने का दावा किया गया है।
एक दशक में बेरोजगारी दर सबसे उच्चतम स्तर पर : रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद देश में 50 लाख लोगों को अपनी नौकरियां गवांनी पड़ी है। साथ ही देश में बेरोजगारी की दर वर्ष 2018 में बढ़कर सबसे ज्यादा 6 प्रतिशत हो गई है। यह 2000 से लेकर 2010 के दशक के दौरान से दोगुनी है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि पिछले एक दशक के दौरान देश में बेरोजगारी की दर में लगातार इजाफा हुआ है। 2016 के बाद यह अपने अधिकतम स्तर को छू गया है।
असंगठित क्षेत्र पर सबसे ज्यादा असर: देश में असंगठित क्षेत्र पर नोटबंदी और फिर जीएसटी का सबसे ज्यादा असर पड़ा। इस सेक्टर से जुड़े लोगों की सबसे ज्यादा नौकरी छिनी है। रोजगार और मजदूरी पर ‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2019’ की रिपोर्ट के अनुसार 20-24 आयु वर्ग में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। यह गंभीर चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि यह युवा कामगारों का वर्ग है। यह बात शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के पुरुषों और महिलाओं के वर्गों पर लागू होता है।