जोधपुर, 20 मार्च। राष्ट्र संत पूज्य श्री चन्द्रप्रभ जी महाराज ने कहा कि जब फटे दूध से रसगुल्ला बनाया जा सकता है तो टूटे हुए रिश्तों को फिर से क्यों नहीं साँधा जा सकता! पहल यदि सकारात्मक हो तो बंजर भूमि में भी फूल खिलाए जा सकते हैं। मन यदि स्वस्थ है, और स्वभाव सुंदर है तो दुख में भी दीवाली है, पर मन यदि क्रोध, चिंता अवसाद से घिरा है, तो सुख में भी सुलगती होली है। अपने मन की दशा को ठीक कीजिए, मुस्कराइए और मन को सकारात्मक बनाइए। आपके लिए अभी से दीवाली के दीये जलने शुरू हो जाएँगे।
संतप्रवर कायलाना रोड़ स्थित संबोधि धाम में आयोजित मोटिवेशन एवं मेडिटेशन क्लास में साधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि क्रोध का जवाब क्रोध से देना प्रतिक्रिया है, पर क्रोध का जवाब प्रेम से देना समाधि का आनंद है। प्रतिक्रिया अब तक खूब की है, चलो अब समाधि-भाव अपनाएँ। मन को समझाएँ – हे जीव! तू कब तक यूं ही क्रोध करता रहेगा। अब तो शान्त हो। क्रोधी व्यक्ति घरवालों के द्वारा भी नापसंद किया जाता है, पर शांत और स्नेहिल व्यक्ति घर के बाहर भी लोकप्रिय हो जाता है। क्रोध तो लुहार के हथौड़े जैसा होता है – चोट एक, पर टुकड़े दो। प्रेम सुनार की हथौड़ी जैसा है – हल्की ठोका-ठोकी और आभूषण तैयार। हथौड़ी बनिए, पर लुहार की नहीं, सुनार की।
उन्होंने कहा कि किसी को बुरा मत बोलिए और किसी को अच्छा बोले बगैर मत रहिए। आलोचना एक ऐसा जहर है, जिसे कोई पीना नहीं चाहता और प्रशंसा एक ऐसी ठंडाई है, जिसे हर कोई पीना पसंद करता है। जो लोग जिसे पसंद करते हैं, उन्हें वही पिलाइए न।
इस अवसर पर उन्होंने जीवन है उपहार प्रभु का इसको रोशन कीजिए…का भजन सुनाया तो साधक आनंदित हो गए। इससे पूर्व मुनि शांतिप्रिय सागर ने आरोग्य लाभ के लिए साधकों को मूवमेंटेबल यौगिक अभ्यास करवाया। उन्होंने मानसिक तनाव से मुक्ति पाने और मेमोरी पावर बढ़ाने के लिए ओंकार मंत्र ध्यान का प्रयोग करवाया। क्लास में सैकड़ों भाई-बहिन उपस्थित थे। इस अवसर पर अमृत नाहटा परिवार द्वारा गौसेवा हेतु गौशाला में हरे चारे की गाड़ी समर्पित की गई।
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