16वें वेतन समझौते, ओ पी एस व रिक्त पदों पर भर्ती की माँग -आमेरा
जोधपुर। ऑल राजस्थान को-ऑपरेटिव बैंक ऐम्प्लोयीज यूनियन एवं ऑल राजस्थान को ऑपरेटिव बैंक ऑफ़िसर्स एसोसिएशन ज़िला ईकाई जोधपुर के आह्वान पर ज़िले के केंद्रीय सहकारी बैंक, राज्य भूमि विकास बैंक, जोधपुर एवं बिलाड़ा एवं पाली, सिरोही, बाड़मेर व जालोर के कर्मचारी एवं अधिकारियों का ज़िला सम्मेलन 20 अगस्त, रविवार को सुबह 10:00 बजे से होटल घूमर आरटीडीसी सभागार में ओमप्रकाश विष्णोई एवं नितिन मिढ़ा कि संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित किया गया।सम्मेलन के मुख्य अतिथि संगठन के प्रांतीय महासचिव, सहकार नेता सूरज भान सिंह आमेरा का सभी कर्मियों ने साफा पहनाकर व माल्यार्पण कर भव्य स्वागत किया गया।
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सहकारी बैंक कर्मियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा ने बताया की राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा व सरकार के नीतिगत निर्णय की पालना में राज्य के सहकारी बैंक कर्मचारियों/ अधिकारियों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी के लिये जनवरी 2019 से देय 16वें वेतन समझौते को शीघ्र लागू किया जाये , सहकारी बैंक कर्मियों को ओपीएस पेंशन योजना का लाभ दिया जाये, सहकारी बैंकों में रिक्त पड़े सैंकड़ों पदों पर अविलंब आईबीपीएस के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाये , सभी बैंकों में लंबित डीपीसी की बैठक बुलाकर कर्मियों को पदोन्नति का लाभ दिया जाये एवं सहकारी बैंकों में आज की आवश्यकता अनुरूप स्टाफ स्ट्रेंथ में बढ़ोतरी की जाये तथा सहकारी बैंकों में वर्षों से कार्यरत संविदा कर्मियों को रिक्त पदों पर नियमित किया जाए साथ ही स्पिनफेड से सहकारी बैंकों में समायोजित कर्मियों को बैंक वेतनमान व सुविधा का भुगतान लागू किया जाये आदि सभी माँगों पर सम्मेलन में राज्य सरकार एवं सहकारी विभाग से माँग की गयी।
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सहकार नेता आमेरा ने बताया कि सहकारी बैंकों में कर्मचारियों व अधिकारियों की भारी कमी से बैंकों का दैनिक कार्य किया जाना संभव नहीं हो रहा है। सहकारी बैंक कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा के रूप में पेंशन सुविधा की व्यवस्था नहीं होने से रिटायरमेंट लाइफ भारी परेशानी संकट में है। बैंकों में कई वर्षों से लंबित डीपीसी के चलते कर्मियों को पदोन्नति का वाजिब लाभ नहीं मिल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सभी कर्मियों को ओपीएस देने, भर्ती करने, डीपीसी करने, संविदा कर्मियों को नियमित करने की बजट घोषणा एवं नीतिगत निर्णय के बावजूद सहकारी बैंकों में सहकारी विभाग द्वारा इन्हें लागू नहीं किया गया।