गुजरात के मेहसाणा जिले के एक गांव में दलित व्यक्ति के अपनी शादी में घोड़ी पर बैठने का खामियाजा पूरे समुदाय को भुगतना पड़ा है। पूरे गांव ने अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार कडी तालुका के लोर गांव के अगड़ी जाति के लोग दूल्हे के घोड़ी चढ़ने के कदम से कथित रूप से नाखुश थे। घटना मंगलवार की है।
गांव के सरपंच विनूजी ठाकोर ने गांव के अन्य नेताओं के साथ फरमान जारी कर गांववालों को दलित समुदाय के लोगों का बहिष्कार करने को कहा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में ठाकोर को गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस उपाधीक्षक मंजीत वंजारा ने बताया, ”सात मई को मेहुल परमार की बारात गांव से गुजर रही थी। चूंकि परमार एक दलित है इसलिए गांव के कुछ नेताओं ने इस पर आपत्ति की और समुदाय के लोगों को अपनी हद पार नहीं करने की चेतावनी दी।”
उन्होंने बताया, ‘अगले दिन गांव के कुछ प्रमुख ग्रामीणों ने दलितों के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की। इसके अलावा समुदाय के लोगों से बात करने या उनके साथ किसी तरह का मेलजोल रखने वालों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाये जाने की भी घोषणा की गयी थी।”
वंजारा बृहस्पतिवार को दलित ग्रामीणों द्वारा फोन किये जाने के बाद गांव पहुंची थीं. उन्होंने बताया कि गांव के सरपंच विनूजी ठाकोर की गिरफ्तारी के अलावा चार अन्य के खिलाफ भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामले दर्ज किये गये हैं.
बहिष्कार के बाद क्या हुआ
पत्रकारों से बात करते हुए मेहुल परमार ने कहा कि बहिष्कार के बाद दुकानदारों ने उन्हें दूध या अन्य जरूरी घरेलू सामान तक बेचने से मना कर दिया था. उन्होंने कहा, ”जब मैं घोड़ी चढ़ा तो कुछ ग्रामीणों ने मुझे इस तरह से बारात नहीं निकालने को कहा था. आज सुबह जब हमें सामाजिक बहिष्कार का पता चला तो हमने पुलिस की मदद मांगी. सुबह चाय बनाने के लिये किसी ने हमें दूध तक नहीं दिया.”