कई लोगों की उम्मीद जगी
राजस्थान में सरकारी क्षेत्र में पहला सफल जीवित दाता लिवर प्रत्यारोपण
जोधपुर एम्स अस्पताल जोधपुर के विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम ने इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायलरी साइंसेज,नई दिल्ली के सहयोग से पश्चिमी राजस्थान में पहला सफल डोनर लिवर ट्रांसप्लांट (एलडीएलटी) लिवर ट्रांसप्लांट किया। राजस्थान में सरकारी क्षेत्र में यह पहला सफल लिविंग ऑपरेशन है। मरीज जोधपुर शहर निवासी 49 वर्षीय पुरुष लीवर खराब होने के कारण काफी समय से बीमार था। अन्य अनगिनत केंद्रों और डॉक्टरों के पास जाने और अच्छी खासी रकम खर्च करने के बाद आखिर उन्हें जोधपुर एम्स में डॉक्टरों की टीम द्वारा लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई।उनके 21 वर्षीय बेटे ने अपने लीवर का एक हिस्सा अपने बीमार पिता को दान किया। सभी परीक्षणों के बाद,10 घंटे लंबे,जटिल ऑपरेशन को 11 फरवरी को सफलता पूर्वक किया गया। टीम में 50 से अधिक चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल थे। जिनमें सर्जन, हेपेटोलॉजिस्ट,एनेस्थेटिस्ट,नर्सिंग अधिकारी और तकनीशियन शामिल थे।
प्रोफ़ेसर शिव कुमार सरीन,निदेशक आईएलबीएस,नई दिल्ली आईएलबीएस से ट्रांसप्लांट सर्जिकल
एनेस्थेटिस्ट,नर्सिंग अधिकारी और तकनीशियन भी शामिल थे। प्रोफ़ेसर शिव कुमार सरीन, निदेशक आईएलबीएस, नई दिल्ली द्वारा आईएलबीएस से ट्रांसप्लांट सर्जिकल टीम जुटाने में केन्द्रीय भूमिका रही। प्रोफ़ेसर विनियेंद्र पामेचा के नेतृत्व वाली इस टीम में डॉ.निहार रंजन महापात्र और डॉ.अनुभव पंवार शामिल थे। लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी करने वाले प्रमुख सर्जन प्रोफेसर विनियेंद्र पामेचा थे। उन्होंने सफलता पूर्वक प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए एम्स की सर्जिकल टीम का सहयोग किया जिसमें डॉ.वैभव वार्ष्णेय,डॉ.सुभाष सोनी,डॉ. सेल्वा कुमार बी,डॉ.पीयूष वार्ष्णेय, डॉ. लोकेश अग्रवाल शामिल थे। डॉ.गौरव सिंधवानी,डॉ.सरवनन मुथुसामी, डॉ. प्रदीप भाटिया,डॉ. निखिल कोठारी,डॉ अंकुर शर्मा और डॉ मेश्राम लिवर ट्रांसप्लांट में शामिल एनेस्थेटिस्ट थे। इसके अलावा आईएलबीएस के ओटी तकनीशियन संजय जोशी और परवेज अहमद ने एम्स,जोधपुर के नर्सिंग स्टाफ सदस्यों भंवर लाल,राम दयाल, उम्मेद, दामोदर,मनीष,मिताली, देवेंद्र, सुरेश कुमार,धर्मवीर और महेद्र लांबा ने सर्जरी करने में मदद की।
जीवित दाता लिवर प्रत्यारोपण (लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट):- (एलडीएलटी) एक जटिल ऑपरेशन है जिसमें एक स्वस्थ डोनर के लिवर के एक हिस्से का उपयोग प्राप्तकर्ता के क्षतिग्रस्त लिवर को बदलने के लिए किया जाता है। दान किए गए लिवर और डोनर के बचे हुए लिवर दोनों ही अपने सामान्य आकार और कार्य को पुनः प्राप्त कर लेते हैं,क्योंकि लिवर की पुन: उत्पन्न होने की अद्वितीय क्षमाता होती है। प्रोफ़ेसर (कर्नल) सीडीएस कटोच, कार्यकारी निदेशक,एम्स जोधपुर ने कहा कि एम्स जोधपुर में यह लिवर प्रत्यारोपण क्रोनिक लिवर की बीमारियों से पीड़ित कई लोगों, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आशा की किरण लेकर आया है। उन्होंने सफल सर्जरी के लिए एम्स जोधपुर की पूरी टीम को बधाई दी और आवश्यक प्रशिक्षण और जनशक्ति प्रदान करने के लिए प्रोफेसर सरीन,प्रोफ़ेसर पमेचा और पूरे आईएलबीएस,नई दिल्ली प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रोफ़ेसर एमके गर्ग, चिकित्सा अधीक्षक,एम्स जोधपुर ने कहा कि शराब के बढ़ते सेवन और मोटापे के कारण भारत में क्रोनिक लिवर के रोगियों को लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (आयुष्मान योजना) और मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तत्वावधान में एम्स जोधपुर में लीवर प्रत्यारोपण निःशुल्क किया जाता है। एनआर बिश्नोई,उप निदेशक (प्रशासन),एम्स जोधपुर ने बताया कि मरीज गहन निगरानी में अभी भी आईसीयू में है और धीरे-धीरे ठीक हो रहा है।
एम्स जोधपुर में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग पहले से ही नियमित रूप से विभिन्न प्रकार की जटिल हेपाटो-पैनक्रिएटो-बिलियरी सर्जरी कर रहा है। एम्स जोधपुर उन्नीस पेरीफेरल एम्स संस्थानों में पहला सफल लिवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम स्थापित करने वाला संस्थान है।