नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 2022 में तीन भारतीय अंतरिक्षयात्री गगनयान से अंतरिक्ष की यात्रा में जो सूट पहनकर जाएंगे, गुरुवार को बेंगलुरु में आयोजित स्पेस एक्सपो में इसरो ने उसके प्रोटोटाइप का पहली बार प्रदर्शन किया। नारंगी रंग के ये सूट पिछले दो साल से तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में विकसित किए जा रहे थे। एजेंसी ने क्रू मॉडल और क्रू स्केप मॉडल कैप्सूल (यानी जिस यान में बैठकर जाएंगे और जिससे वापस आएंगे) का भी प्रदर्शन किया। जिसकी मदद से अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष की यात्रा कर पाएंगे।
खास है स्पेस सूट
गगनयान अभियान के तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। उसके लिए तीन सूटों की जरूरत पड़ेगी। इसरो ने दो सूट तैयार कर लिए हैं। तीसरे सूट पर अभी काम चल रहा है। प्रत्येक सूट में एक ऑक्सीजन सिलेंडर फिट होगा। जो अंतरिक्ष में यात्रियों को 1 घंटे तक ऑक्सीजन उपलब्ध कराएगा।
ऐसे काम करेगा स्पेस कैप्सूल
थर्मल शील्ड से तैयार इस स्पेस कैप्सूल में तीन अंतरिक्ष यात्री पांच से सात दिन धरती से 400 किमी दूर कक्षा में रह सकेंगे। वहां वे माइक्रोग्रैविटी पर अध्ययन करेंगे। यह कैप्सूल हर 90 मिनट पर धरती का एक चक्कर लगाएगा। इससे अंतरिक्षयात्री सूर्यास्त और सूर्योदयका दीदार कर सकेंगे। तीनों अंतरिक्षयात्री हर चौबीस घंटे में भारत को अंतरिक्ष से दो बार देख सकेंगे।
यहां होगी लैंडिंग
कैप्सूल की अरब सागर में उतरने की उम्मीद है। गुजरात के तट पर जहां भारतीय नौसेना और तट गार्ड कैप्सूल को पानी से निकालकर जमीन पर लाने के लिए मौजूद रहेंगे।
ऐसे धरती पर आएंगे वापस
वापस लौटते समय धरती के वातावरण में प्रवेश करते ही यह कैप्सूल आग के गोले में तब्दील हो जाएगा। इस दौरान थर्मल शील्ड यह सुनिश्चित करेगी कि कैप्सूल के भीतर का तापमान 25 डिग्री सेल्यिस ही रहे। अंतरिक्षयात्री खिड़की से इन लपटों को देख पाएंगे।
रंग नारंगी क्यों?
इसरो ने इस सूट का रंग नारंगी रखा है, जिसे कुछ लोग भगवा के तौर पर भी देखते हैं। गौरतलब है कि अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी इसी रंग के सूट तैयार कर चुका है। इस रंग को चुनने की जब नासा से वजह पूछी गई तो बताया गया था कि सुरक्षा और खोज के लिहाज से यह चटखदार रंग बहुत मददगार होता है।
नासा के ब्रायन डेनियल बताते हैं कि अंतरिक्ष में यह रंग बचाव और खोज के लिहाज से बहुत ही विजिबल (दृश्य) है, इसीलिए इसे चुना गया। गौर करने पर पाएंगे कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राहत और बचाव एजेंसियां भी ज्यादातर इसी रंग की वर्दी का इस्तेमाल करती हैं। इसीलिए माना जा रहा है कि इसरो ने भी नासा की तर्ज पर इसका रंग नारंगी रखा।
चयन में अभी इंतजार
क्यों है जरूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 72वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से अपने संबोधन में कहा था कि साल 2022 तक ‘गगनयान’ के माध्यम से अंतरिक्ष में भारतीयों को भेजा जाएगा। यानी आजादी के 75वें वर्ष में और अगर संभव हुआ तो उससे पहले ही।