जयपुर. भाजपा के मौजूदा कार्यकाल के आखिरी सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में लोकायुक्त का कार्यकाल पांच से बढ़ाकर आठ साल करने, जयपुर शहर के लिए जल प्रदाय और मलवहन बोर्ड बनाने सहित छह विधेयक कांग्रेस के हंगामे के बीच पास हो गए। हालांकि इस दौरान भाजपा से इस्तीफा दे चुके विधायक घनश्याम तिवाड़ी और निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल ने लोकायुक्त और उप-लोकायुक्त संशोधन विधेयक 2018 का विरोध किया। इनकी ओर से मांग की गई कि यदि सरकार को लोकायुक्त संशोधन विधेयक लाना ही था तो मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड की तर्ज पर सशक्त लोकायुक्त विधेयक लेकर आती, जिसके दायरे में मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्री होते। जिसके पास पुलिस होती और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार भी होता।
प्रदेश में लोकायुक्त का कार्यकाल पांच साल ही है। उस अवधि को बढ़ाकर सरकार ने आठ साल करने के लिए विधेयक पास करा लिया। इसमें यह भी एक प्रावधान जोड़ दिया गया कि लोकायुक्त का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जब तक नई नियुक्ति नहीं हो जाती और वह ज्वाइन नहीं कर लेता, तब तक पुराने लोकायुक्त ही अपने पद पर कार्य करते रहेंगे। इस प्रावधान को जोड़कर राज्य सरकार ने एक तरह से लोकायुक्त के लिए कार्यकाल की सीमा भी खत्म कर दी है।इसको लेकर घनश्याम तिवाड़ी ने परिनियत संकल्प पेश किया था, जिसे खारिज कर दिया। इस दौरान तिवाड़ी और गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के बीच खूब बहस हुई। जहां कटारिया विधेयक के पक्ष में बोलते रहे, वहीं तिवाड़ी ने काला कानून तक बता दिया। इससे पहले जयपुर जलप्रदाय और मलवहन बोर्ड की स्थापना के लिए सरकार के लिए लाए गए विधेयक को लेकर भी घनश्याम तिवाड़ी ने परिनियत संकल्प पेश किया था, जिसे बहुमत से खारिज कर दिया गया।
मुझे बोलने नहीं दिया गया: डोटासरा
डोटासरा ने आरोप लगाया कि सरकार के दबाव में उनके स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि ऋण माफी के नाम पर सरकार ने घोटाला किया है। इस पर संसदीय कार्यमंत्री राजेंद्र राठौड़ ने मेघवाल से कहा…अध्यक्ष महोदय यह आपकी व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। इसके बाद मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर, सचेतक मदन राठौड़ सहित भाजपा के अन्य विधायक भी कांग्रेस पर पलटवार करने के लिए खड़े हो गए।
ये विधेयक भी हुए पास
– राजस्थान मूल्य परिवर्धित कर संशोधन विधेयक 2018
– राजस्थान स्टांप संशाेधन विधेयक 2018
– राजस्थान माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2018
– राजस्थान वन संशोधन विधेयक 2018
लोकायुक्त विधेयक को बताया काला कानून- जिस स्वरूप में लोकायुक्त के लिए विधेयक पास कराया है, वह काला कानून है। सरकार मुख्यमंत्री, मंत्रियों के पापों को अगले तीन साल तक ढकने के लिए लोकायुक्त का कार्यकाल बढ़ा रही है। संशोधन कराना ही था तो कर्नाटक और एमपी की तर्ज पर उसके दायरे में सीएम और मंत्रियों को लाना था। – घनश्याम तिवाड़ी, विधायक
उत्तराखंड, मध्य प्रदेश की तर्ज पर लोकायुक्त को मजबूत करने के लिए विधेयक लाना चाहिए था। खान घोटाले में अशोक सिंघवी के कहने पर लोकायुक्त ने जांच अधिकारी बदल दिए थे। लोकायुक्त का कार्यकाल बढ़ाने के लिए विधेयक लेकर सरकार आ रही है। यह वापस लेना चाहिए। -हनुमान बेनीवाल, निर्दलीय विधायक