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लीबिया में फेसबुक बना हथियारों की खरीद-फरोख्त का जरिया, अब हो रही निगरानी

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दिग्गज सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक कई विवादों से गुजर रही है। इन विवादों में डाटा चोरी और फेक न्यूज तो शामिल हैं ही, अब इससे इतर लीबिया की राजधानी त्रिपोली में चल रही हिंसा में इसका इस्तेमाल अवैध हथियारों की खरीद फरोख्त और विरोधियों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। लीबिया में जमीन कब्जाने के लिए एक युद्ध सड़कों पर तो दूसरा फेसबुक पर लड़ा जा रहा है। कंपनी ने इसे स्वीकार करते हुए कहा है कि लीबिया में फेसबुक की निगरानी की जा रही है और कंपनी इससे निबटने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के अलावा अरबी भाषा समीक्षकों की मदद ले रही है।

एआइ कर रहा निगरानी
अपनी सफाई में कंपनी ने कहा है कि लीबिया में हिंसा को लेकर वह पूरी तरह सजग है। अरबी भाषा में शेयर की जा रही सामग्री के निरीक्षण के लिए इस भाषा के विशेषज्ञ काम कर रहें है। इसके अलावा फेसबुक हिंसा को बढ़ावा देने वाली तस्वीरों और वीडियो को समझने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद ले रहा है। कंपनी ने कई पेजों को भी डिलीट किया है।

इंटरनेट का बढ़ता दुरुपयोग

हिंसा और आतंक फैलाने के लिए तकनीक को मुख्य साधन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। फेसबुक के मुताबिक आतंकी आपस में संवाद के लिए वॉट्सएप का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें एंड टू एंड एंक्रिप्शन प्लेटफॉर्म के जरिए दो लोगों के बीच हुई बातचीत गोपनीय रहती है। इसके अलावा यूट्यूब और ट्विटर पर भी हिंसा और आतंकी सामग्री फैलाई जा रही है।

सोशल मीडिया की कार्रवाई जारी 
फेसबुक ने इस वर्ष अप्रैल तक आइएस और अलकायदा से जुड़ी कुल सामग्री में से 99 फीसद (19 लाख) को हटाया। गूगल ने यूट्यूब से 90 फीसद (दस हजार) अकाउंट हटाए। वहीं एक जुलाई से 31 दिसंबर 2017 के बीच 74 फीसद (2.74 लाख) ट्विटर अकाउंट सस्पेंड किए गए।

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