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राजस्थान विधानसभा में पत्रकारों के लिए इमरजेंसी जैसे हालात

सदन की कार्यवाही का बहिष्कार।
27 जून को राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत हुई, लेकिन दिवंगत सदस्यों, पुलवामा के शहीद जवानों, बाड़मेर के जसोल में रामकथा की दुखान्तिका आदि को लेकर शोकाभिव्यक्ति के बाद सदन की कार्यवाही को 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी, लेकिन प्रात: 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही हुई तो मीडिया कर्मियों को अनेक पाबंदियों का सामना करना पड़ा। मीडिया कर्मियों को हिदायत दी गई कि वे विधानसभा में प्रेस गैलरी तक ही सीमित रहे। कोई पत्रकार किसी मंत्री अथवा विधायक से न मिले। इसके साथ ही विधानसभा की केंटिन तक में जाने पर रोक लगा दी। पिछले चालीस वर्षों में विधानसभा की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों का कहना रहा कि यह पहला अवसर है जब ऐसी पाबंदिया लगाई गई है। भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि पत्रकारों के लिए यह इमरजेंसी जैसे हालात हैं। वरिष्ठ पत्रकार और पिंकसिटी पे्रस क्लब के पूर्व अध्यक्ष एलएल शर्मा ने कहा कि ऐसी पाबंदियां संसद में भी नहीं है। संसद को कवर करने वाले मीडियाकर्मी राज्यसभा और लोकसभा में आ जा सकते हैं। जब संसद में इस तरह की पाबंदियां नहीं है तो फिर राजस्थान विधानसभा में क्यों लगाई गई है। पाबंदियों को लेकर ही मीडिया कर्मी 27 जून को प्रेस गैलरी में नहीं गए। जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ध्यान आकर्षित किया तो गहलोत का कहना रहा कि वे इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष से संवाद करें। जब पत्रकारों के प्रतिनिधि अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से मिलने गए तो कक्ष के बाहार ऐसे हालात उत्पन्न हुए कि पत्रकारों को धरने पर बैठना पड़ा। सीएम गहलोत के निर्देश पर विधायक महेश जोशी भी विवाद को सुलझाने में लगे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि राजस्थान के जनसम्पर्क विभाग का जिम्मा चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के पास है। रघु शर्मा और पत्रकारों के बीच इन दिनों 36 का आंकड़ा बना हुआ है। एनएचएम भर्ती घोटाले और चिकित्सा विभाग में हो रही लापरवाहियों की खबरें प्रदेश के समाचार पत्रों में और न्यूज चैनलों में प्रमुखता के साथ प्रकाशित एवं प्रसारित हो रही है।

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