आयकर की राडार में आया आदर्श ग्रुप, घोटाले में फंसे जयपुर निवशकों के 100 करोड़ रुपए
देश की बड़ी कॉपरेटिव सोयायटी में से एक आदर्श कॉपरेटिव सोयायटी पर अब एसओजी ने शिकंजा कसा है. एसओजी से पहले देश की अन्य जांच एजेंसियों की नजर इस पर थी. आदर्श ग्रुप वित्तीय गड़बड़ियों के चलते साल 2009 में ही आयकर विभाग की नजरों में आ गया था. विभाग ने आदर्श ग्रुप के सिरोही व जयपुर स्थित ठिकानों पर रेड मारकर 10 करोड़ से ज्यादा के ठगी का दावा किया था. आयकर विभाग ने साल 2009 में छापे के दौरान बता दिया था कि आदर्श ग्रुप में ब्लैक मनी के लेनदेन को लेकर गलत तरीके से निवेश हो रहा है. इसी के चलते RBI ने ग्रुप को नोटिस देकर चेतावनी दी थी. बता दें कि करीब दो महीने से एसओजी के अफसरों की इन पर नजर थी और दो महीने की कार्रवाई के दौरान दर्जनों लोगों से पूछताछ करने के बाद बारह से ज्यादा लोगों को अरेस्ट कर लिया गया है.
साल 2009 के छापे के बाद आयकर विभाग लगातार इन पर लगातार निगरानी करता रहा और 2018 में एक बार फिर से दोबारा से सिरोही सहित 15 ठिकानों पर आयकर छापे की कार्रवाई की गई थी. बता दें कि आदर्श ग्रुप के 100 करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेशक जयपुर से हैं और जयपुर में इसके सात ऑफिस भी हैं. जानकारी के मुताबिक जयपुर से ग्रुप के सैकडों निवेशक शामिल हैं. हालांकि अभी तक ग्रुप ने जयपुर निवेशकों का खुलासा नहीं किया है.
आदर्श ग्रुप ने लोगों को कम समय में ज्यादा मुनाफे का लालच देकर प्रबंधकों ने करोड़ों की संख्या में निवेशकों को जोड़ा. कुछ लोगों को वादे के अनुसार मुनाफा भी दिया जिससे लोग सोसायटी पर भरोसा करने लगे. एक साल पहले आयकर विभाग को बड़ी हेरफेर मिली. उसके बाद तो निवेशकों का भरोसा भी मिलने लगा. करीब छह महीने पहले जोधपुर में प्रबंधक भाग गए और उसके बाद अन्य जिलों में भी यही हालत रहे.
वहीं एसओजी की जांच के दौरान खुलासा हुआ कि मुकेश मोदी की पत्नी एवं दामाद की फर्म महावीर कंसलटेंसी को सोसायटी ने पिछले तीन साल में एडवाइजर बताकर 720 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया. इसके बाद भी महावीर कंसलटेंसी ने कोई सेवाएं सोसायटी को नहीं दी. एसओजी अधिकारी एएसपी सत्यपाल मिढा के अनुसार सोसायटी के पास 31 मार्च 2016 तक 223 करोड़ 77 लाख रुपए थे, जो सोसायटी को कभी नहीं मिले. और नोटबंदी के दौरान सोसायटी ने शेयर एप्लीकेशन मनी के रूप में इन नोटों का जमा कराना बताया था.आदर्श को-ऑपरेटिव सोसायटी के घोटाले रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव की जांच रिपोर्ट में ही सामने आ गए थे. रिपोर्ट में सामने आया था कि कंपनी निवेशकों के पैसे लेकर वापस नहीं लौटा रही थी और कंपनी ने निवेशकों का पैसा लेकर रियल एस्टेट में लगा दिया है. रियल एस्टेट डूबते ही निवेशकों का पैसा भी डूब गया. वहीं रजिस्ट्रार ऑफिस ने आदर्श को-ऑपरेटिव सोसायटी के अधिकारियों को तलब कर उन्हें निवेशकों का पैसा लौटाने की चेतावनी भी दी थी.