अजमेर. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं सबसे बड़े अस्पताल में सुपर स्पेशलिटी चिकित्सा सुविधाओं के लिए अजमेर तरस रहा है। दशकों से सुपरस्पेशलिटी सेवाओं का सपना देखने वाली जनता एवं मरीजों को यह सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। कुछ सुपरस्पेशलिटी सेवाएं शुरू हुईं भी मगर कुछ समय बाद ही उन पर ग्रहण लग गया।
अजमेर में सुपर स्पेशलिटी चिकित्सा सुविधाओं के लिए सरकारी अस्पताल जेएलएन व मेडिकल कॉलेज में नेफ्रोलॉजिस्ट नहीं है। कार्डिक थौरेसिक विभाग पर ताले लग चुके हैं। न्यूरो फिजिशियन उपलब्ध ही नहीं है। इनके चलते मरीजों को जयपुर, अहमदाबाद सहित अन्य शहरों के चिकित्सालयों में इलाज के लिए जाना पड़ता है।
नेफ्रोलॉजी विभाग : पीपीपी मोड पर डायलिसिस
जेएलएन में कहने को नेफ्रोलॉजी विभाग है, डायलिसिस सुविधा भी पीपीपी मोड पर संचालित है मगर यहां नेफ्रोलॉजिस्ट नहीं है। पूर्व में अधीक्षक पर स्थानांतिरित होकर आए जयपुर एसएमएस के डॉ. विनय मल्होत्रा ने मात्र तीन-चार महीनों में वापस तबादला करा लिया।
कार्डियोथौरेसिक विभाग : पीपीपी मोड पर ही बंद
ह्रदय रोग एवं ह्रदय की बाईपास सर्जरी के लिए कार्डियोथैरेसिक विभाग कार्डियोलॉजी में शुरू हुआ, प्रारंभ में पीपीपी मोड पर जयपुर से डॉ. विक्रम गोयल ने बाईपास व सर्जरी प्रारंभ की, इसके बाद अव्यवस्था एवं उपकरण के अभाव में सीटीवीएस सर्जन डॉ. मोहित शर्मा ने भी जयपुर तबादला करा लिया और करीब दो साल से ताले लग गए एवं वार्डों में कार्डियोलोजी विभाग के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है।
न्यूरोलॉजी विभाग में न्यूरो फिजिशियन नहीं
अस्पताल में न्यूरोलॉजी विभाग में एक न्यूरो सर्जन हैं मगर वे भी गंभीर बीमारी से संघर्ष कर मरीजों के ऑपरेशन कर रहे हैं। लेकिन न्यूरो फिजिशियन का पद खाली पड़ा है। पूर्व में संविदा पर न्यूरो फिजिशियन ने ज्वॉइन भी किया और दो तीन माह में ही निजी अस्पताल में चले गए। इसके चलते नसों में खिंचाव, ब्रेन संबंधी रोगों का उपचार संभव नहीं हो पा रहा है।
जयपुर में इस संबंध में मीटिंग हुई है। जल्द पुन: प्रस्ताव बनाकर भेजे जाएंगे। नेफ्रोलॉजिस्ट एवं न्यूरो फिजिशियन की प्राथमिकता है। प्राथमिकता के आधार पर प्रस्ताव भेजे जाएंगे। डॉ. वीर बहादुर सिंह, प्रिंसीपल, जेएलएन मेडिकल कॉलेज